Sep 10, 2012

कागज़ की कश्ती: जिंदगी

आखिर क्या हैं यह जिंदगी ??
एक कागज़ की कश्ती ,
संभलती, गिरती, फिर भी चलती !!
साहिल पर रूकती.. टकराती ...
लहरों के साथ चलती,
कागज़ की कश्ती!!!

कभी गिर जाती तो,
दो मासूम हाथों के बीच, 
गर्माहट पाती,
और फिर गहरे पानी में गोते लगाती,
कागज़ की कश्ती!!!

कभी निर्लज, कभी सहज,
संबल और सहनशील,
फिर भी नाज़ुक गीला कागज़,
कभी रुकी हुई शांत,
बिना किसी आहट,
जिंदगी !!!

कहीं सूरज की तरफ जाती,
मंजिल को तराशती,
पानी में लकीरें बना के,
पत्थरों को चूमती हुई,
जिंदगी ..जिंदगी......

जब अस्तित्व खो जाएगा, 
तब पहुंच हो जाएगी तरल पे,
जहाँ होगा अंतर का आभास,
एक मोक्ष और उसका एहसास !!!! 


स्वाति शोभा सेवलानी

प्यार का वायरस

Hindi Translation of my poem "Virus of Love"
Translated by Tripti Mishra


उड़न छू था तुम्हारा प्यार,
ये मैंने जाना।
उड़न छू एहसास और यादें उड़न छू ,
मैंने छूआ और जाना,
तुम थे उड़न छू। 
जब से गए हो ...तुम्हारी आत्मा उड़न छू,
उड़न छू मेरा दर्द नहीं हो सकता,
ये लाखों चुभती सुइयाँ,
उड़न छू नहीं होंगी कभी यादें मेरी।
स्थानांतरण जैसे,
उड़न छू नहीं हो सकता ये प्यार,
क्यूंकि तुम्हारा एड्स वायरस है मेरे पास।



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Swati Sevlani

Sep 9, 2012

Aura of Eternal Love

Aura Of Eternal Love Translated in Hindi by Tripti Mishra 
(Many thanks to Tripti Mishra for taking out her time and translating my poem)


नहीं ...न तो ये तुम हो 
न तुम्हारी काया या साया 
सिर्फ तुम्हारी आत्मिक पवित्रता 
कुछ अनकहे शब्दों से छुई हुई 
अभी तक मेरी लहरों से अनछुई 
ये दिलेर दिल, मोहिनी मुस्कान 
मुरब्बे सा एहसास, पछतावे रहित निगाह 

आह्लादित सी इश्वरियता
ह्रदय धड़कता अन्दर, आंखें स्पष्ट खुलीं
पूरण शब्द पारदर्शी
ये मृगमरीचिका मन की, या प्यार
या "मैं" तुम्हारी आत्मा पे निर्भर
या पहुँचना मंज़िल तक
पर न तो "मैं"
न मेरे जलती हुई चाहत
बस ..मेरी आत्मा शांति को पूछती !

To read the poem in English, click here.


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Swati Shobha Sevlani